Tuesday, April 29, 2014

kuchh Sher~

ये इत्तेफ़ाक़ नही कि हस्ती मिल गयी है खाक़ मे
मौक़ा है ज़र्रे- ज़र्रे को हिला दो कमल खिल सकता है शाख मे 

Monday, April 22, 2013

हे नारी!- एक गुहार 

हे नारी , तू ना हारी
बदल दे ये  सृष्टी सारी
ये कैसी विबेचना है
आराजकता को चबा डाल
उठ , सहनशीलता को त्याग
सुन , दुधुम्बी की नाद
बहुत हुआ संबाद
प्रलय नहीं आया है  तो- ला
ज़ोर लगा , हिमालय को हिला
हरेक हाथ जो तुम्हारी अस्मिता पे उठते हैं
उसे काट डाल
इस कुत्सित मानसिकता को नेस्तनाबूत कर
साँप के फन को कुचल डाल


हे नारी , तू ना हारी
बदल दे ये सृष्टी सारी

आँसुओं को पी ले - ज़हर उगल
अबला नहीं, तू चण्डिका बन
पाप का सर्वनाश कर
मत डर , निर्भय बन
आक्रोश दिखा - जलजला ला
अधिकार मत माँग - छीन ले
अपने मार्ग स्वयं प्रसस्त कर
भाग्य बिधाता बन
समाज का गिरेबान पकड़ ,
कलाई  मरोड़ और रस्ते पे ला ....

Saturday, October 20, 2012

तुम

आज रात फिर तुम मेरे साथ जगो
पास नहीं, ना सही,
पर मेरे साथ जगो
मुद्दत हो गई
तुम्हारे बालों का छल्ला पहने
आज उन्हें ऐसे बिखेरो
कि सारा जिस्म ढक जाए

अब सपनों मे भी कम ही मिलती हो तुम
इतनी मसरूफ़ क्यू हो
कभी हम ज़माने  कि हर एक  दीवार
गिराने की बात करते थे
अरसा हो गया टेलीफोन पे गुफ्तगु हुए

कभी-कभी लगता है
ये 'हमारी' कहानी, कही मेरी सोच,
सिर्फ 'मेरी' कहानी तो नही
या तुम भी कभी
देर रात को जगती हो मूझे?

Sunday, December 18, 2011

Why do I still love her?

Why do I still love her?
when she is not even there, Why do I still love her?
Why do I care, does she even know, 
-I exist?
Why do I still love her?

She broke my heart, 
left me in so much pain, 
and said, "I deserved better...."
Why do I still love her?

Years have gone by, 
Oceans exist between us. 
warmth of her touch and beautiful smile, 
lingers in memory....
You live with me in every breath I take. 
I remember everything and will do forever...
Why do I still love her?....

Monday, October 10, 2011

अफ़सोस

मुझे  अफ़सोस  है  कि  उस  रात  जब  किसी  करणवश, तुम मेरे  लिए  खाना  ले   के  आई  थी,
और अपने शर्मीलेपन के  कारण  मैंने  तुम्हे  तुरत जाने  को  कहा था, और तुम्हे बुरा भी लगा था
क्यूँ   कहा  ऐसा  मैंने,  मुझे  अफ़सोस  है ....

मुझे  अफ़सोस  है  कि  जब  तुमने  उस  सस्ते  से  प्लास्टिक  के  कीरिंग,
जिस  पे  I love you लिखा  था ,
मुझे  इतने  प्यार  से  दिखाया  और  मैंने,  उपहास  से  हँस  दिया,
बहुत  अफ़सोस  है ....

मुझे अफ़सोस उस दिन का है जब उस साल कि पहली-पहली बारिश मे मैं भीग रहा था
और तुम खिड़की से बस देख रही थी,
ज़माने के डर से मन- मसोस रही थी
और मैं अठखेलियाँ कर रहा था, मुझे बहुत अफ़सोस है....

मुझे  अफ़सोस  उस  वक़्त का  है  जब  भरी  चाँदनी  रात  मे  छत  पे  तुमने  मेरा  हाथ  अपने  हाथ  मे  लिया,
और  मै  सहमा  सा  था, कि कोई कहीं  देख  ना  ले,
मुझे  बहुत  अफ़सोस  है ....

मुझे  अफ़सोस  है  जब  काफ़ी शुरू - शुरू  मे  तुमने  कहा  था  कि  "हमारे  रिश्ते  का  कोई  future नहीं  है"
और  मैंने  कहा  था  कि  बाद  का  बाद  मे सोचेंगे,
मुझे  अफ़सोस  है  कि  हम  तबसे  ही  क्यूँ  नहीं  सोचे ....

मुझे  अफ़सोस  है  इन सबका   और  कई  और  अफसोसों का 
पर  आज  भी  इन  सब  मे  तुम्हे  साँस  लेता  देखता हूँ  तो दिल को सुकून  मिलता  है ....

Saturday, January 22, 2011

लम्हे की उम्र

आओ इस पल को पलकों मे बसा लें, मेरी जानेजाना
ना जाने कल क्या हो, किसे पता- किसने जाना

आओ लम्हों मे जिंदगी जी लें
लम्हे के एक चौथाई हिस्से मे तुम रुठोगी
दूसरे चौथाई हिस्से मे मै मनाऊंगा
तीसरे मे तुम मान जाओगी और मेरी खुशियाँ सातवें आसमान पे होगी
फिर, चौथे हिस्से मे हम ज़ुदा हो जाएंगे

आओ इस पल को पलकों मे बसा लें मेरी जानेजाना
ना जाने कल क्या हो, किसे पता- किसने जाना

काश! जुदाई चौथाई लम्हों जितनी छोटी होती ....

Sunday, January 09, 2011

Ghazal.

सदियों की बात है शायद
उसको अभी तक याद है शायद

कभी ज़ाहिर किया नहीं
पर मुझसे उसको भी प्यार है शायद

रोया बहुत हूँ और आज भी अब तक
सामने पैमाना या आँसूओं का ज़ाम है शायद

रूठा तो कई बार - वक़्त किया ज़ाया बहुत
मुहब्बत के चंद लम्हे अबतक ज़हन में ताज़ा है शायद

जशन-ए-बर्बादी  या कहें इश्क इसे
दोनों में थोड़ा तो फ़र्क है शायद

हस्ती मिटती, ख़ाक मे मिलते- तो अच्छा था
ये ज़िन्दगी, साँसों का महज़  पुलिंदा है शायद