वो शाउजी की दूकान
और
जय -हिंद होटल की पकवान
वो तडके सवेरे ट्रक से हंटर चुराना
और
बत्तीस भमरिया के रेल्वे -लाइन पे सिक्का से चुम्बक बनाना
गाँधी मैदान में छऊ गिलास के सेट का क्रिकेट मैच
और
तिलैया - नेतरहाट की तैयारी का बैच
वो चित्रहार के समय लाइन का कटना
और
उसके इंतज़ार में 'कृषि -दर्शन ' का देखना
वो होस्टेलिओं से नाश्ता पोटना
और
क्लास की चौंकी में उड़ीस का काटना
वो फटी हुई तिलंगी (पतंग ) पे चिप्पी साटना
और
शाम को पकिया दोस्तों में भूंजा बाटना
वो बाबा -धाम का सवादिष्ट पेड़ा
और
वार्त्तालाप में अम्रीका का सातवां बेडा
वो वार्षिक परीक्षा के पहले नयी कलम खरीदना
और
वशिष्ट नारायण एवं दिनकर बनने के सपने देखना
छुट्टीओं में पटना जाना
और
गोलघर , अजायबघर घूमना
कई बातें हैं बचपन की,
जन्मभूमि के उपवन की
भले ही आज बाहर हूँ ,
यादों में -इरादों में
बिल्कुल बिहारी हूँ - बिल्कुल बिहारी हूँ