Saturday, May 05, 2007

BACHPAN AUR BIHAR!

वो  शाउजी   की  दूकान 
और 
जय -हिंद  होटल  की  पकवान 
वो  तडके  सवेरे  ट्रक  से  हंटर  चुराना 
और  
बत्तीस  भमरिया  के  रेल्वे -लाइन  पे  सिक्का  से  चुम्बक  बनाना 
गाँधी  मैदान  में  छऊ गिलास  के  सेट  का  क्रिकेट मैच 
और 
तिलैया - नेतरहाट  की  तैयारी  का  बैच
वो  चित्रहार  के  समय  लाइन  का  कटना 
और 
उसके  इंतज़ार  में  'कृषि -दर्शन ' का  देखना 
वो  होस्टेलिओं से  नाश्ता  पोटना 
और 
क्लास की  चौंकी में  उड़ीस  का  काटना 
वो  फटी  हुई  तिलंगी (पतंग ) पे  चिप्पी  साटना
और 
शाम  को  पकिया  दोस्तों  में  भूंजा  बाटना
वो  बाबा -धाम  का  सवादिष्ट  पेड़ा
और 
वार्त्तालाप   में  अम्रीका  का  सातवां बेडा 
वो  वार्षिक  परीक्षा   के  पहले  नयी  कलम  खरीदना 
और 
वशिष्ट  नारायण  एवं  दिनकर   बनने  के  सपने  देखना 
छुट्टीओं में  पटना  जाना 
और 
गोलघर , अजायबघर   घूमना 
कई  बातें  हैं  बचपन  की,
जन्मभूमि  के  उपवन   की 
भले  ही  आज   बाहर  हूँ ,
यादों  में -इरादों  में 
बिल्कुल  बिहारी  हूँ - बिल्कुल बिहारी  हूँ 

Friday, April 06, 2007

Kuchh yun hi....

Zakhm aise bhi nahi ki chhupaya na jaye
Dard itne bhi nahi ki dabaya na jaye
Zamane ne pathhar marna chod diya
tou aaieney pe pathhar marne lage

Saturday, February 03, 2007

kab aayegi?

Abb aayegi- abb aayegi
Na jane
Kab aayegi?
Kitne laal hare hue
barf girkar so gaye....
Ghadi-ghadi ghadi se rubaru hona
TakTaki nigagha se baatt johna....
Kitna satati hai
Qun nahi jaldi aati hai....
Bas bhi kar abb
Aé 'bus' aa ja....
Bas aaz to jaldi aa ja
'Wo mera stop pe intezar kar rahi hogi....'